रतन टाटा ने इस युवा की कंपनी में किया करोड़ो का इन्वेस्टमेंट | Ratan Tata invest in new startup

रतन टाटा ने इस युवा की कंपनी में किया करोड़ो का इन्वेस्टमेंट | Ratan Tata invest in new startup

आज हम ऐसे स्टार्टअप की बात करेंगे जिसको बहुत ही कम उम्र में शुरू किया गया था. ऐसा कहा जाता है  हुनर उम्र का मोहताज नहीं होता है यह साबित किया है 18 साल के महाराष्ट्र में रहने वाले युवा ने जब रतन टाटा जैसे बड़े लोग स्टार्टअप में पैसा लगा सकते हैं तो वह कितनी बड़ी बात होगी रतन टाटा ने ऐसी कंपनी में इन्वेस्ट किया है जो सिर्फ 4 साल पुरानी है |

यह एक स्टार्टअप है जिसको अर्जुन देशपांडे (Arjun Deshpande) ने 4 साल पहले पैसे लेकर शुरू किया था. स्टार्टअप का नाम है जेनेरिक आधार (Generic Aadhar) अर्जुन देशपांडे जेनेरिक आधार (Generic Aadhar) के फाउंडर और सीईओ है वह खुद महाराष्ट्र के थाने में रहने वाले हैं और उनकी कंपनी भी थाने में ही है.

 

  •  जेनेरिक आधार एक यूनिक फार्मेसी रिटेल (Unique Pharmacy Retail) चेन है जो  इंटरनेट पर मौजूद दूसरी फार्मेसी और रीटेल से अलग है.

 

  • रतन टाटा ने जेनेरिक आधार  का लगभग 50% हिस्सा खरीद लिया है.

 

  • अर्जुन देशपांडे की कंपनी जेनेरिक आधार के बारे में कुछ खास बातें

 

  • अर्जुन मुंबई में रहने वाले एक युवा है जिन्होंने मेडिसिन रीटेल का बिजनेस करने वाली कंपनी जेनेरिक आधार शुरू की है.

 

  • अर्जुन ने इस कंपनी की शुरुआत 16 साल की उम्र में की थी.

 

  • सिर्फ 14 साल की उम्र तक अर्जुन अपनी मां के साथ 20 से ज्यादा प्लांट का दौरा कर चुके थे उनकी मां फार्मा ट्रेड (Pharma Trade) में ही काम करती थी. उन दिनों अर्जुन को कंप्यूटर और उससे जुड़ी चीजों का बहुत शौक था उनकी मां उनसे अक्सर भारत में इस्टैबलिश्ड मेडिसिन बिजनेस के बारे में चर्चा करती रहती थी.

 कैसे शुरू हुई जेनेरिक आधार(How did Generic Aadhar start)

  • अर्जुन को जेनेरिक आधार ( Generic Aadhar) शुरू करने की योजना अपनी मां से ही मिली जो इंटरनेशनल फार्मेसी बिजनेस से जुड़ी हुई है. वह अपने स्कूल की छुट्टियों में अमेरिका, वियतनाम जैसे शहरों में जाया करते थे उस दौरान उन्हें कंपनी शुरू करने का आइडिया आया पिछले कुछ सालों से वह जेनेरिक दवाइयों  को लेकर Awareness लाने की कोशिश कर रहे हैं.

 

  • भारत पूरी दुनिया में जेनेरिक दवाओं का मैन्युफैक्चरिंग हब है. यहां से दुनिया के दूसरे देशों में जेनेरिक दवाओं का large-scale में एक्सपोर्ट होता है. अर्जुन ने यह भी समझ लिया था जेनेरिक मेडिसिन बाकी ब्रांडेड मेडिसिन की तरह महंगी है.

 

इसके दो कारण बताएं हैं

  • पहला कारण है लोगों में अवनीश की कमी थी.

 

  • स्मॉल रिटेल (small retail) से होलसेल (Wholesale) इंडस्ट्री ज्यादा प्रॉफिट कमाती थी इसकी वजह से कस्टमर के भी दाम बढ़ जाते थे.

 

 

  • अर्जुन ने यह तय किया कि वह लोगों को Affordable प्राइस में मेडिसिन उपलब्ध करवाएंगे ऐसे शुरुआत हुई अर्जुन की कंपनी जेनेरिक आधार की.

कैसे काम करती है जेनेरिक आधार?(How does it work?)

  • एक यूनिक फार्मेसी एग्रीगेटर बिजनेस मॉडल (Unique Pharmacy Aggregator Business Model) के तौर पर जेनेरिक आधार जेनेरिक ड्रग्स को मैन्युफैक्चरर्स (Manufacturer) से सीधे अलग-अलग शहरों की फार्मेसी तक पहुंचाती है और ऐसा करके कंपनी 20% होलसेलर मार्जिन (Wholesaler Margin) खत्म करके मार्केट प्राइस से काफी सस्ती मेडिसिन प्रोवाइड करती है.

 

 

  • हाल फिलहाल इस कंपनी का रेवेन्यू 6 करोड़ है और अगले 3 साल के बाद 150-200 करोड़ तक पहुंचाने का टारगेट रखा है.

 क्या है जेनेरिक आधार का मीशन? (Generic Aadhar Mission)

  • अपनी कंपनी के जरिए अर्जुन देशपांडे एक मिशन पर काम कर रहे हैं  वह चाहते हैं बुजुर्गों और पेंशनर्स को उनकी दवाई कम से कम प्राइस में मिले.

 

  • अर्जुन का मानना है कि 60% पापुलेशन  दवा एक्सपेंसिव होने के कारण  अपनी दवा नहीं खरीद पाती है.  इसीलिए वह प्राइस को कम करना चाहते हैं.

 

  •  कंपनी में फिलहाल 50 से ज्यादा एंप्लॉय जिसमें से फार्मासिस्ट आईटीजीएस मार्केटिंग प्रोफेशनल शामिल है.

 

  •  कंपनी ज्यादातर डायबिटीज एंड हाइपरटेंशन ड्रग्स सप्लाई करती है लेकिन कंपनी जल्द ही मार्केट प्राइस से कम प्राइस में कैंसर मेडिकेशंस भी प्रोवाइड  करेगी.

 

  •  जेनेरिक आधार अभी मुंबई पुणे बेंगलुरु और उड़ीसा में 30  रिटेल के साथ टाइप किया है.

 

 

  • कंपनी की तरफ से कहा गया है कि वह आने वाले समय में गुजरात तमिलनाडु आंध्र प्रदेश न्यू दिल्ली गोवा और राजस्थान जैसे राज्यों में मन था उसी के साथ पार्टनरशिप करेगी और सस्ती दवा भी  बेचेगी.

 

 

  • अर्जुन का idea यूनिक है यह  यूनिक फार्मेसी एग्रीगेटर बिजनेस मॉडल (Unique Pharmacy Aggregator Business Model) ये यूनिक आईडिया ही है जिसमें रतन टाटा जैसे बड़े कारोबारी को भी अट्रैक्ट किया है जब उन्होंने जेनेरिक आधार कंपनी में इन्वेस्ट किया. 

 

 

  1. कैसे हुई रतन टाटा से मुलाकात?

  • अर्जुन को इस कंपनी में 2 साल तक मेहनत करते हुए आखिर उनकी मेहनत रंग लाई रतन टाटा से मिलने का मौका मिला.  अर्जुन देशपांडे ने रतन टाटा को अपने स्टार्टअप के बारे में बताया था उन्होंने इसे बहुत ध्यान से सुना और अर्जुन के बिजनेस प्लान से बहुत प्रभावित हुए और रतन टाटा ने इस बिजनेस का हिस्सा बनने का फैसला किया और जेनेरिक को भी हर भारतीय तक पहुंचाने में मदद  करी.

 

 

  • आपको बता दें कि रतन टाटा ने पर्सनल लैवल पर जेनेरिक आधार में निवेश किया है और यह इन्वेस्टमेंट टाटा ग्रुप से जुड़ा हुआ नहीं है.

 

  • अर्जुन देशपांडे ने कोरोना काल में 3 month की सैलरी दान की थी उस समय भी अर्जुन की बहुत चर्चा हुई थी. 

 

Generic Aadhar startup