क्रिप्टोकरेंसी बनी आतंकी हथियार, बिना खतरे हो रही टेरर फंडिंग | ISIS Batla House Module
दिल्ली (Delhi) का बाटला हाउस (Batla House) एक बार फिर गलत वजह से चर्चा में है. 14 साल पहले यहां आतंकियों को पुलिस ने एनकाउंटर में मार गिराया था, अब NIA टीम ने दुनिया के सबसे खूंखार आतंकी संगठन ISIS के आतंकी को यहां से दबोचा है. मामला इतना ही नहीं है, बल्कि शनिवार को NIA टीम के हत्थे चढ़े मोहसिन अहमद से पूछताछ में हुए खुलासे ने सभी के होश उड़ा दिए हैं.
मोहसिन महज ISIS का कोई स्लीपिंग सेल (Terror sleeping cell) नहीं था बल्कि वह इस खूंखार आतंकी संगठन का ऑनलाइन हवाला ऑपरेटर भी था, जो भारत और विदेशों में इस आतंकी संगठन के लिए जुटाए जा रहे पैसे को क्रिप्टोकरेंसी (Crypto Currency) में बदलकर उसे सीरिया (Syria) में बैठे आकाओं तक टेरर फंडिंग (Terror funding) के तौर भेज रहा था.
मोहसिन के इस खुलासे के बाद एक बार फिर आतंकवादी मॉड्यूल में क्रिप्टोकरेंसी के उपयोग का सवाल खड़ा हो गया है, जिसके जरिए बिना पकड़ में आए आतंकियों को टेरर फंडिंग हो रही है. अब NIA इस जांच में जुट गई है कि देश में भी टेरर फंडिंग के लिए क्रिप्टोकरेंसी का इस्तेमाल हो रहा है या नहीं? कैसे आतंकवादी दिल्ली में बैठ कर सीरिया तक पैसे पहुंचा रहा था?
ISIS का फंड ऑपरेटर था मोहसिन
NIA सूत्रों के मुताबिक, दरअसल मोहसिन को ISIS की तरफ से फंड जुटाने का काम मिला था. साथ ही उसे छात्रों के बीच ISIS का प्रचार कर देश में आतंकवाद फैलाने का भी काम दिया गया था. इसके चलते मोहसिन भारत ही नहीं विदेशों से भी ISIS से संबंध रखने वालों से फंड्स इकट्ठे कर रहा था. BTech स्टूडेंट होने के चलते मोहसिन के लिए ये सारा काम Online करना बहुत ज्यादा मुश्किल नहीं था.
क्रिप्टोकरेंसी में भेजे पैसे की ट्रेसिंग नामुमकिन
NIA सूत्रों का कहना है कि आतंकी संगठन सुरक्षा एजेंसियों को झांसा देने के लिए पैसा भेजने के नए-नए तौर-तरीकों की तलाश में लगे रहते हैं. क्रिप्टोकरेंसी का इस्तेमाल आतंकी ग्रुप्स में इसलिए बढ़ रहा है, क्योंकि इसके माध्यम से किए गए लेनदेन को ट्रेस करना आसान नहीं होता.
यदि आतंकी गतिविधियों को अंजाम देने के लिए पैसा बिटक्वाइन (Bitcoin) के रूप में भेजा गया है तो यह जानकारी जुटाना बेहद मुश्किल हो जाता है कि आतंकियों को कब, कितना पैसा, किस तरह से भेजा गया है. ऐसे में क्रिप्टो के इस्तेमाल से वे पर्दे के पीछे रखकर अपने नापाक मंसूबों को अंजाम दे पाते हैं. आतंकी संगठन अमूमन नए आतंकी भर्ती करने, हथियारों का भुगतान करने जैसे कामों में क्रिप्टो का इस्तेमाल करते हैं.
पहले भी मिले हैं क्रिप्टोकरेंसी और आतंकी जुड़ाव के सबूत
क्रिप्टोकरेंसी और आतंकवाद के जुड़ाव का यह नया मामला नहीं है. कश्मीर में भी आतंकी गतिविधियों में बिटकॉइन जैसी क्रिप्टोकरेंसी के इस्तेमाल की बातें पिछले कुछ समय से लगातार सामने आ रही हैं. पिछले साल 13 जुलाई को बिहार (Bihar) के पटना (Patna) के फुलवारी शरीफ (Phulwari Sharif) इलाके से बिहार पुलिस ने पीएफआई (PFI) के दो आतंकवादी मोहम्मद जल्लाउद्दीन और अतहर परवेज दबोचे थे. इनका तीसरा साथी उत्तरप्रदेश से पकड़ा गया. इनके ‘आतंकी मॉड्यूल’ की जांच में भी सामने आया था कि इन आतंकवादियों को कतर (Qatar) से क्रिप्टोकरंसी के रूप में फंडिंग की जा रही थी.
क्रिप्टो का रेग्युलेटरी कानून नहीं होना भी कारण
दुनिया के अधिकतर देशों में क्रिप्टो को रेग्युलेट करने के लिए कोई कानून नहीं है. फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (FATF) 2020 के दिशानिर्देशों के अनुरूप महज कुछ देशों ने ही क्रिप्टो को रेग्युलेट करने की दिशा में कदम बढ़ाए हैं. इन देशों की कोशिश है कि डिजिटल करेंसी या एनएफटी का इस्तेमाल मनी लॉन्ड्रिंग या टेरर फंडिंग के लिए नहीं किया जा सके.
क्रिप्टो में आपका निवेश कितना सुरक्षित
साइबर एक्सपर्ट्स के मुताबिक, भारत सरकार ने किसी तरह की क्रिप्टोकरेंसी लीगल नहीं की है. इसके बाद भी लोग बड़े पैमाने पर इसमें निवेश कर रहे हैं. भारत में अलग-अलग क्रिप्टोकरेंसी में कुल निवेश वर्ष 2021 में 15 गुना बढ़कर 438.18 मिलियन अमेरिकी डॉलर हो गया था. टेरर फंडिंग में क्रिप्टोकरेंसी के इस्तेमाल की खबर आने से एक बात तो साफ़ है कि इसमें जो भी पैसा निवेश किया जा रहा है, वह सुरक्षित नहीं है.