पब्लिक फाइनेंस क्या है ? | What is Public Finance
पब्लिक फाइनेंस क्या है ? (what is Public Finance)
जिस तरह एक व्यक्ति का आय (income) और expenditure का लेखा जोखा होता है| ठीक उसी तरह सरकार के पैसे का भी लेखा जोखा होता है| यहाँ तरीका थोड़ा अलग है एक व्यक्ति अपने पैसे का हिसाब खुद ही रखता है लेकिन, सरकार के अलग अलग मंत्रालय (Ministry) का हिसाब अलग होता है और बजट के समय पर आपने देखा होगा सभी मंत्रालय का बजट अलग होता है| किसी भी व्यक्ति को सरकार को अपना आय व्यय का हिसाब इनकम टैक्स रिटर्न (Income Tax Return) में देना होता है| जब व्यक्ति को पर्सनल फाइनेंस का हिसाब देना होता है, तो कोई भी व्यक्ति सरकार से पब्लिक फाइनेंस (public finance) की जानकारी RTO की मदद से ले सकता है|
“Public Finance deals with the finance of the Public as an organized group under the institution of government”- Philip Tailor
सरकारी अर्थव्यवस्ता में सार्वजनिक वित्त (public finance) की ही भूमिका है, यह सरकारी राजस्व और सरकारी प्राधिकारियों (Authorities ) के सरकारी व्यय का मूल्यांकन कर वांछनीय (desirable) प्रभाव प्राप्त करने और अवांछनीय (undesirable) लोगों से बचने के लिए एक दूसरे की व्यवस्था (adjustment) करती है| सरकार संसाधनों के आवंटन, आय के वितरण और अर्थव्यवस्था के स्थिरीकरण के अनुसार बाजार की असफलता को रोकने में मदद करती है| जब कभी ऐसा नहीं हुआ तो आर्थिक मंदी के दौर का सामना करना पड़ा है | सरकारी अर्थव्यवस्था को बनाने के लिए केंद्र सरकार राज्य सरकार के साथ धन का लेन-देन करते रहती है| कभी केंद्र सरकार राज्य सरकार की मदद करती है तो कभी केंद्र को राज्य से मदद लेना होता है| सरकार के कमाई का मुख्य स्रोत इनकम टैक्स (Income Tax) और बंदरगाहों, हवाई अड्डे सेवाओं, अन्य सुविधाओं से उपयोगकर्ता शुल्क, कानून तोड़ने से उत्पन्न जुर्माना; लाइसेंस और फीस से राजस्व, सरकारी प्रतिभूतियों (Stamp Paper) की बिक्री है|
Scope of Public Finance
इसमें पब्लिक फाइनेंस के घटक (constituent) की जानकारी शामिल की गई है| सरकार को पैसा कहाँ से आता है, सरकार खर्च कहाँ करती है, जरूरत पड़ने पर सरकार कर्ज कहाँ से लेती है और आखिरी में यह पूरा मामला देखता कौन है| एक व्यक्ति का आय व्यय का लेखा जोखा वह खुद ही देखता है| लेकिन, क्या किसी बिजनेसमैन का लेखा जोखा वह खुद देखता है? क्या मुकेश अम्बानी, सुनील भारती मित्तल, अमिताभ बच्चन, रतन टाटा, मार्क ज़ुकेरबर्ग, सलमान खान, अपने आय व्यय का हिसाब खुद रखते हैं? बिलकुल नहीं, इसके लिए इन्होनें एक किसी बहुत बड़े यूनिवर्सिटी के एकाउंट्स टॉपर को रख रखा है तो क्या सरकार के मंत्री खुद से ये हिसाब रख सकते हैं क्या? यह तो असंभव है| क्यूंकि, ज्यादातर मंत्री फ़र्ज़ी डिग्री सिर्फ दिखने के लिए रख लेते है| कुछ के पास यदि होती भी है तो वह कर नहीं सकता और यदि किया तो सिर्फ घोटाला ही करेगा|
पब्लिक फाइनेंस चार भाग में बताया गया है| जैसा की Economist बताते है, किसी भी फाइनेंस में आय और व्यय का लेखा जोखा होता है| ऐसा ही सरकार के साथ होता है| अब सरकार राज्य हो या केंद्र हो या किसी भी स्तर पर हो| एक बात का हमेशा ध्यान रखें जब भी पब्लिक बताया जा रहा है इसका मतलब सरकार के बारें में बताया जा रहा है|
Public Revenue
पब्लिक रेवेन्यू (Public Revenue) का मतलब आय के स्रोत से है| पब्लिक (सरकार) को कितने तरीके से आमदनी होती है| क्या आपको पता है, सरकार को कितने तरीके से आमदनी होती है?
टैक्स रेवेन्यू (Tax Revenue) –
इसमें टैक्स से होने वाले आमदनी को दिखाया गया है| सरकार को कई तरह के टैक्स मिलते हैं. टैक्स भी दो तरीके का है|
डायरेक्ट टैक्स (DirectTax) –
इसमें इनकम टैक्स (Income Tax) आता है| जिसे व्यक्ति को खुद ही देना होता है| इसी माध्यम से सरकार व्यक्ति के आय और व्यय का हिसाब लेती है| यह डायरेक्ट टैक्स टैक्स पेयी को ही देना होता है. जैसे : इनकम टैक्स, कारपोरेशन टैक्स, वेल्थ टैक्स| डायरेक्ट टैक्स (direct tax) progressive nature का होता है| मतलब यह कमाई पर निर्भर करता है| पांच लाख रुपये साल के कमाने वाले व्यक्ति और पचास लाख रुपये कमाने वाले व्यक्ति दोनों को कमाई के अनुसार सरकार को टैक्स देना होगा|
इनडायरेक्ट टैक्स (Indirect Tax) –
इसमें वो सभी टैक्स है जिसमें किसी वस्तु पर सरकार ने टैक्स तो लगा दिया लेकिन, यह किसी और को देना होता है. जैसे एक मैन्युफैक्चरर किसी प्रोडक्ट पर टैक्स लगा देता है और यह पास होते हुए आखिरी ग्राहक को देना होता है. यह रिग्रेसिव (Regressive) होता है और इसी वजह से सभी को एक जैसा टैक्स देना होता है. जैसे : यदि सरकार किसी प्रोडक्ट पर 10% का टैक्स लगाती है. तो दो लाख रुपये सालाना कमाने वाले और दस लाख रुपये सालाना कमाने वाले दोनों को ही समान टैक्स देना होगा| GST आने के पहले कई तरह का इनडायरेक्ट टैक्स (IndirectTax) देना होता था| लेकिन, अब सभी तरह का इनडायरेक्ट टैक्स (Indirect Tax) GST में आ गया है|
नॉन टैक्स रेवेन्यू (Non Tax Revenue) –
नॉन टैक्स रेवेन्यू (Non Tax Revenue) वह राशि है जो सरकार टैक्स के अतिरिक्त अन्य साधनों से एकत्र करती है| इसमें सरकारी कंपनियों के विनिवेश से मिली राशि (Dividends Fund), सरकारी कंपनियों से मिले लाभांश और सरकार द्वारा चलाई जाने वाली विभिन्न आर्थिक सेवाओं के बदले मिली राशि शामिल होती है|
Public Expenditure
सरकार के पास बहुत से स्रोत (source) से पैसे आ रहे हैं तो कई जगहों पर सरकार खर्च भी कर रही है| जैसे सरकारी कर्मचारी के वेतन, यातायात, सुरक्षा, सोशल वर्क, शिक्षा, धर्म और संस्कृति, स्वास्थ्य, पर्यावरण, कृषि, इनके अलावे कुछ और भी खर्च है. यहाँ एक और खर्च है सब्सिडी जैसे गैस पर शुरुआत से ही सब्सिडी दिया जा रहा था. लेकिन, जब से यह सब्सिडी बैंक अकाउंट में दिया जाने लगा तब इसके बारें में पता चला|
सब्सिडी (Subsidy) :
सरकार द्वारा व्यक्तियों या समूहों को नकद या कर से छूट के रूप में दिया जाने वाला लाभ सब्सिडी कहलाता है| भारत जैसे कल्याणकारी राज्य (Welfare state) में इसका इस्तेमाल लोगों के हित को ध्यान में रखते हुए किया जाता है| भारत सरकार ने आजादी के बाद से अब तक विभिन्न रूपों में लोगों को सब्सिडी दी है और दे रही है|
सरकार यह खर्च चार तरीके से करती है-
Productive : ऐसा खर्च जिसका कोई मतलब हो, यदि आप एक स्टूडेंट हो तो ऐसे जगहों पर खर्च करो जो करियर के लिए उपयुक्त है| यदि एक बिज़नेसमैन हो तो व्यवसाय को बढ़ाने में खर्च किया तो यह प्रोडक्टिव होगा|
Unproductive : ऐसा खर्च जिससे आपके करियर व्यापार में कोई मदद नहीं मिला इसका मतलब है नुक्सान हुआ| क्योंकि यदि आप आगे नहीं बढ़ रहे हो इसका मतलब पीछे जा रहे हो|
Planned : सरकार पंच वर्षीय योजना बनती है| इसके लिए खर्च भी निर्धारित किया जाता है| ऐसा खर्च जिसका पहले से प्लानिंग होता है|
Unplanned : ऐसा खर्च जो अचानक हो जाता है. जैसे किसी पूल के निर्माण के लिए एक हज़ार करोड़ का राशि तय किया गया और पूल बनते ही भूकंप, तूफ़ान की वजह से वह पूल टूट गया तो उसे बनाने में और उससे जितना नुकसान हुआ उसकी भरपाई में कुछ पैसा खर्च हो जाता है जिसका कोई प्लान नहीं है.
Public Debt
यदि सरकार की आय खर्च से ज्यादा है तो यह अतिरिक्त बजट (Surplus Budget) है और यदि इसका उल्टा हो तो यह घाटा बजट (Deficit Budget) कहलाता है| जब आय और व्यय दोनों बराबर हो तो इसे सामान्य बजट (Normal Budget) कहते हैं| लेकिन, भारत देश में ऐसा नहीं होता है! यहाँ हमेशा घाटा बजट होता है|
जब भी घाटा बजट होगा तो कुछ कर्ज लेना हो सकता है| जैसे कोई बिज़नेसमैन व्यवसाय के लिए बैंक से loan लेते है, वैसे ही सरकार भी व्यवस्था को सुचारु रूप से चलाने के लिए loan लेती है| यह लोन दो तरीके से लिया जाता है
Internal Debt : देश के अंदर से जो लोन लिया जाता है वह इंटरनल लोन है| जैसे किसी राज्य से या रिज़र्व बैंक से मिलने वाला लोन इंटरनल डेब्ट के अंदर आता है.
External Debt : यदि वर्ल्ड बैंक या किसी अन्य देश से मतलब देश के बाहर से मिलने वाला लोन External Debt है|
Public Administration
Public Administration को Financial Administration भी कहते है| सरकार कई जगह से पैसे इकट्ठे और खर्च करती है| जब कॉर्पोरेट फाइनेंस में भी एक फाइनेंस डिपार्टमेंट होता है| यह तो सरकार है इसके कमाई और खर्चे का हिसाब रखने के लिए कुछ लोगों की टीम होती है| इस टीम को ही Public Administration कहते हैं|