डिविडेंड स्टॉक क्या है ? | Dividend stock in Hindi
डिविडेंड (Dividend) क्या है ?
सरल शब्दों में समझे तो, डिविडेंड (dividend) किसी भी कम्पनी के स्टॉक होल्डर को कम्पनी की तरफ़ से दिए जाने वाला वार्षिक या त्रैमासिक profit का एक हिस्सा होता है।
Business में, जैसे कोई भी कम्पनी पैसा कमाती है तो उसका संगठन ही यह तय करता है की उन्होंने कम्पनी में होने वाले मुनाफ़े को अपने शेयरधारकों के साथ बाटना है या फिर उस पैसे को आगे निवेश के लिए अपने पास रखना है।
लेकिन अगर कंपनी अपने शेयरधारकों को डिविडेंड (dividend) देना चाहती है, तो वह उन्हें किसी भी रूप में जैसे नकद भुगतान, शेयर या अपनी कोई अन्य संपत्ति आदि सहित कर सकती है।
यदि कोई कंपनी डिविडेंड का भुगतान (payment) कर रही है, तो डिविडेंड (dividend) के रूप में दी जाने वाली राशि उस company के बोर्ड ऑफ़ डायरेक्टर (Board of Director) द्वारा तय की जाती है।
कंपनियां डिविडेंड स्टॉक (dividend stock) का भुगतान (payment) क्यों करती है?
Generally कम्पनी के पास इतनी Net income होती है की अगर वो चाहें तो अपने पास बचे हुए cash को अपने business को expand करने के लिए उसमे invest कर सकती है। अगर इस तरह का मामला होता है तो वो अपने शेयरधारकों को डिविडेंड का option देती है।
कम्पनी के निवेशक डिविडेंड के रूप में मिलने वाली अपनी इस अतिरिक्त आय को प्राप्त करके बहुत ख़ुश होते है। और डिविडेंड देने से उस कम्पनी का स्टॉक अधिक प्रभावित होता है।
अधिकतर निवेशक ये मानते हैं कि डिविडेंड का भुगतान करना इस बात का प्रतीक होता की वह कम्पनी निरंतर कमाई के साथ वित्तीय रूप से भी आगे बढ़ रही है।और इस प्रकार, डिविडेंड स्टॉक को लोग अधिक ख़रीदते है। एक बढ़ते हुए शेयर में निवेशक (investor) के interest से शेयर की मांग भी बढ़ती है, जिससे उस फ़र्म के शेयरों की क़ीमत भी बढ़ सकती है।
डिविडेंड स्टॉक (dividend stock) कैसे काम करता है?
आपको पास कितने डिविडेंड स्टॉक (dividend stock) है, उसके हिसाब से ही उस कम्पनी द्वारा उसके मुनाफ़े का हिस्सा आपको दिया जाएगा। इसका मतलब है आपको उतना ही दिया जाएगा जितने आपके पास स्टॉक है।
शेयर बाजार (share market) में दो तरह के stock होते हैं
1. ग्रोथ स्टॉक (Growth stock)
2. डिविडेंड स्टॉक (Dividend stock)
जब आप stocks में निवेश करते हो तो आपको दो तरीके से फायदे होते हैं पहला जब शेयर की price बढ़ती हैं तब और दूसरा जब कंपनी dividend देती हैं। Dividend stocks से मिले पैसे डायरेक्ट हमारे बैंक अकाउंट मे credit होती हैं।
तो आपको dividend investing में बार बार खरीद बिक्री करने की जरूरत नही है।अगर आप अच्छे स्टॉक्स को खरीद कर छोड़ दो तो बिना कुछ काम किए आप profit कमा सकते हो।
Dividend yield क्या है ?
Dividend yeild का मतलब ये होता हैं की कंपनी शेयर के दाम के मुकाबले कितना डिविडेंड दे रही है और वो Percentage के हिसाब में बताया जाता है। जैसे अगर किसी कम्पनी के शेयर का दाम 100 रुपए है और अगर कंपनी 3 रुपए का डिविडेंड देती है तो इस से ये पता चलता है की कंपनी 3% का dividend देती है । उधारण के लिए हम
अगर आपको dividend के लिए निवेश करना है तो आपको आंख बंद कर के निवेश नही करना है की किसी कंपनी का डिविडेंड सबसे ज्यादा है, क्योंकि अगर आप ऐसी कंपनी में निवेश करते हो जिसकी डिविडेंड सिर्फ 1.5% की होती है और अगर वो कंपनी अच्छे rate से बढ़ती है तो भी आप लंबे समय में एक अच्छा profit कमा सकते हो |
डिविडेंड इनवेस्टिंग (Dividend Investing) के Advantage
1. कम्पनियाँ यह तय करती है की वे हर महीने डिविडेंड में कितना भुगतान करने जा रही है।
2. वह निष्क्रिय आय-व्यय से होने वाले सिरदर्द और परेशानी से निपटने के लिए नियमित रूप से नकदी का प्रवाह करती रहती हैं।
3. ज्यादा ग्रोथ –
अगर आप किसी high growth और young कंपनी में निवेश कर देते हो तो वो 10 या 20 साल बाद वो कंपनी बहुत बड़ी और mature हो जायेगी और वो कंपनी एक अच्छी डिविडेंड paying stocks बन जायेगी ।
4. कम age में शुरुआत –
अगर आप कम age में शुरुआत करते हो तो आपको बहुत कुछ सीखने को मिलेगा जल्दी और आप धीरे धीरे स्टॉक्स selection सीखते रहोगे और जल्दी financial freedom हासिल कर पाओगे ।
5. Diversification कर सकते हो –
अगर आप एक साथ चाहे तो बहुत dividend stocks कंपनियों में निवेश कर सकते हो जिस से आपको ज्यादा लाभ होगा और पैसे भी सुरक्षित रहेंगे ।
डिविडेंड स्टॉक (dividend stock) का चयन कैसे करे?
1. डिविडेंड स्टॉक में मुनाफ़ा – डिविडेंड का भुगतान इक्विटी में निवेश करने के लिए एक कारकों में से एक है।
लेकिन आप “डिविडेंड ट्रैप्स“ को भी देखे जिसमें शेयरों के बाद 10% या उससे अधिक के डिविडेंड हो उसमें आमतौर पर निवेश करने ख़राब होता है।
इस प्रकार, इस तरह के फंड उच्च-मुनाफे वाले share holding को तेज़ी से तरह तरह के प्रस्ताव प्रदान करते हैं।
किसी भी निवेश का चयन करने से पहले आप जाँच करे फिर अपना निवेश सुनिश्चित करे।
इस प्रकार के शेयरों का फ़िल्टर करने के लिए निमलिखित कारक शामिल होते है : जैसे
बाजार पूँजीकरण– छोटी और साथ ही माइक्रो-कैप फ़र्म अपनी लार्ज-कैप समकक्षों के तुलना में काफ़ी अधिक अनिश्चितता दिखाते है।
एक प्राथमिक मार्केट कैप डिस्प्ले आपको बाद में होने वाले कुछ, अधिक खतरनाक, और शीर्ष उपज विकल्पों से बचने में मदद करता है।
आय की जानकारी – इसमें कंपनियां हर तिमाही में अपने नए निष्कर्ष परिणामो पर पोस्ट करती हैं। ये वित्तीय विवरण इसलिए महत्वपूर्ण होते हैं क्योंकि ये हमें बताते हैं कि कंपनी ने कितना अच्छा प्रदर्शन किया।
दिशा निर्देश – इसमें कंपनियां आपको कमाई करने के लिए सलाह देती हैं या फिर निवेशकों को बताती हैं कि उनकी कौन सी धारणाएं कंपनी की भविष्य की कमाई, मुनाफे और सामान्य वित्तीय स्थिति के बारे में हैं।
यहां तक कि जब कोई कंपनी अपेक्षित अपने पिछले परिणामों की तुलना में अच्छी रिपोर्ट दिखाती है, तो वह उस तिमाही में दिया गया उसका मार्गदर्शन होता है जो भविष्य में उसके कुछ क्षेत्रों में महत्वपूर्ण बदलाव होने का संकेत देता है।
लेकिन अगर कोई डिविडेंड स्टॉक बहुत अधिक पी/ई रेश्यो के साथ बाक़ियों की तुलना में काफ़ी अधिक होता है तो उसकी जाँच होने चाहिए।
पेआउट रेश्यो (payout ratio) – डिविडेंड के भुगतान का ratio कभी भी 100 प्रतिशत से अधिक नही होना चाहिए।
डिविडेंड भुगतान का 100 प्रतिशत से अधिक होना यह दर्शाता है की वो कम्पनी जितना कमाती है उसे अधिक भुगतान करती है जिसे देख कर ऐसा लगता है की वो कम्पनी अपनी डिविडेंड रणनीति को लम्बे समय तक बनाए रखने में सक्षम नही होगी।
डिविडेंड रुझान और विकास – इसके लिए एक स्पष्ट बात यह भी है एक निवेशको के लिए डिविडेंड ट्रेंड को साथ चलना थोड़ा मुश्किल था।
यदि कोई कम्पनी अपने डिविडेंड स्टॉक में कमी करती है तो वहां संशय हो सकता है। डिविडेंड यील्ड के द्वारा किसी कंपनी के डिविडेंड भुगतान को पता लगाया जा सकता है।
इसके विपरीत, जब कोई कंपनी पहले से ही काफी समय से लगातार अपने डिविडेंड को बढ़ा रही है, तो यह उसके एक अच्छा संकेत है।